गोरखपुर समाचार
हिंदी पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह की अमावस्या यानी 21 जून को सूर्य ग्रहण लगाने वाला है। इस समय सूर्य की रौशनी पृथ्वी पर बाधित होकर आ पाएगी। यह पूर्ण सूर्यग्रहण नहीं है, बल्कि वलयाकार सूर्य ग्रहण है। अतः पृथ्वी से यह Ring Of Fire की तरह दिखाई देगा। ग्रहण को लेकर दो मत है।पहला विज्ञान के अनुसार ग्रहण की गणना की जाती है, जबकि दूसरा धार्मिक दृष्टिकोण से ग्रहण की गणना की जाती है। आइए, ग्रहण के बारे में विस्तार से जानते है।
सूर्य ग्रहण किसे कहते है?(What is a solar eclipse called?)
वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार, जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है और चंद्रमा की वजह से सूर्य की रौशनी पृथ्वी पर नहीं आ पाती है, तो इस भौगोलिक घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं। जबकि धार्मिक दृष्टिकोण के अनुसार जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है तो सूर्य ग्रहण पड़ता है। हालांकि, इस घटना के अंतर्गत राहु की छाया सूर्य पर पड़ती है, जिस वजह से सूर्य ग्रहण पड़ता है।
ग्रहण कितने प्रकार के होते है ?(What are the types of eclipses?)
ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं।
1 -पूर्ण सूर्यग्रहण
2 -आंशिक सूर्यग्रहण
3- वलयाकार सूर्य ग्रहण
21 जून को लगने वाला सूर्यग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। जबकि पृथ्वी से यह RING OF FIRE की
तरह दिखाई देगा।
RING OF FIRE किसे कहते है ?(WHAT IS RING OF FIRE?)
दुनिया में पृथ्वी पर सक्रिय ज्वालामुखियों में सबसे अधिक इंडोनेशिया के आसपास के क्षेत्र में पड़ते हैं। ज्वालामुखियों की इसी संख्या के कारण इस इस इलाके को रिंग ऑफ फायर कहा जाता है।
सूर्यग्रहण का समय (Solar eclipse time)
भारतीय मानक समय के अनुसार सूर्य ग्रहण सुबह में 10 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर दोपहर के 1 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगा। जबकि ग्रहण का परमग्रास दोपहर में 12 बजकर 02 मिनट पर है। इस तरह देखा जाय तो सूर्य ग्रहण की अवधि 3 घंटे 19 मिनट तक है।
सूर्यग्रहण कहाँ -कहाँ दिखाई देगा
इस बार 21 जून को पड़ने वाला सूर्य ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा,जो भारत, नेपाल, सऊदी अरब, यूएई, पाकिस्तान, चीन और ताइवान में दिखाई देगा।और राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, हरियाणा में सूर्य ग्रहण दिखाई पड़ेगा। जबकि भारत के देहरादून शहर में वलयाकार ग्रहण दिखाई देगा। इसके अतिरिक्त भारत के अन्य शहरों में आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देने वाला है।