मंडलीय कारागार में बंद महिला बंदी समाज को पॉलिथीन के इस्तेमाल का अपराध नहीं करने का संदेश दे रहीं हैं। गोरखपुर महोत्सव में मंडलीय कारागार के स्टॉल में महिला बंदियों के हाथ से बनाए गए जूट के झोले लोगों को पॉलिथीन के विकल्प के रूप में भा रहे हैं। यही कारण है कि मात्र तीन दिन में दो सौ से अधिक झोले बिक चुके हैं।
मंडलीय कारागार के वरिष्ठ जेल अधीक्षक डॉ. रामधनी ने बताया कि भारत सरकार की कौशल विकास योजना (स्किल इंडिया) के तहत बंदियों को स्वरोजगार के लिए तैयार किया जा रहा है ताकि कारागार से बाहर निकलने के बाद उन्हें रोजी-रोटी के लिए भटकना न पड़े। बंदियों को पर्यावरण मित्र रोजगार की ट्रेनिंग दी जा रही है। जेल में महिला बंदियों को जूट के झोले और शृंगार की सामग्री बनाने की ट्रेनिंग दी गई है। बंदियों की बनाई गई सामग्री को महोत्सव में प्रस्तुत किया गया है।
मंडलीय कारागार के वरिष्ठ जेल अधीक्षक डॉ. रामधनी ने बताया कि भारत सरकार की कौशल विकास योजना (स्किल इंडिया) के तहत बंदियों को स्वरोजगार के लिए तैयार किया जा रहा है ताकि कारागार से बाहर निकलने के बाद उन्हें रोजी-रोटी के लिए भटकना न पड़े। बंदियों को पर्यावरण मित्र रोजगार की ट्रेनिंग दी जा रही है। जेल में महिला बंदियों को जूट के झोले और शृंगार की सामग्री बनाने की ट्रेनिंग दी गई है। बंदियों की बनाई गई सामग्री को महोत्सव में प्रस्तुत किया गया है।